ये मेरी ज़िद है कि मोहब्बत मे ख़ुद को बर्बाद करूँगा
ग़र मर भी गया इस जहाँ मे, मर के भी उसकी फ़रियाद करूँगा
Aakib javed
नज़र उठाएँ तो क्या क्या फ़साना बनता है सौ पेश-ए-यार निगाहें झुकाना बनता है वो लाख बे-ख़बर-ओ-बे-वफ़ा सही लेकिन त...
Sundar
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