मेरी कोशिश थी कि हर कोशिश मे मेरा काम हो जाए
कैसे भी हो, कभी भी हो, बस एक दफा मेरा नाम हो जाए
कैसे भी हो, कभी भी हो, बस एक दफा मेरा नाम हो जाए
नज़र उठाएँ तो क्या क्या फ़साना बनता है सौ पेश-ए-यार निगाहें झुकाना बनता है वो लाख बे-ख़बर-ओ-बे-वफ़ा सही लेकिन त...
Bht khoob
ReplyDelete