Saturday, January 5, 2019

राहत इन्दौरी का सबसे मशहूर क़लाम- एक बार जरूर पढ़ें ये ग़ज़ल

अंधेरे चारों तरफ़ साएँ साएँ करने लगे
चराग़ हाथ उठा कर दुआएँ करने लगे
तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर
ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे
लहू-लुहान पड़ा था ज़मीं पर इक सूरज
परिंदे अपने परों से हवाएँ करने लगे
ज़मीं पर गए आँखों से टूट कर आँसू
बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएँ करने लगे
झुलस रहे हैं यहाँ छाँव बाँटने वाले
वो धूप है कि शजर इल्तिजाएँ करने लगे
अजीब रंग था मज्लिस का ख़ूब महफ़िल थी
सफ़ेद पोश उठे काएँ काएँ करने लगे

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