Thursday, January 3, 2019

तमन्ना मुदत्तों से है, नात शरीफ़

तमन्ना मुद्दतों से है जमाले-मुस्तफ़ा देखूं
इमामुल-अम्बिया देखूं, हबीबे-किब्रिया देखूं

तमन्ना मुद्दतों से है जमाले-मुस्तफ़ा देखूं

वो जिन के दम क़दम से सुबह ने भी रोशनी पाई
मुनव्वर कर दिया जिस ने फ़ज़ा वो रहनुमा देखूं

तमन्ना मुद्दतों से है जमाले-मुस्तफ़ा देखूं

वो जिन की बरकतों से अब्रे-बारा बरस्ती आलम में
तमन्ना क़ल्बे-मुज़्तर की दुर्रे-बे-बहा देखूं

तमन्ना मुद्दतों से है जमाले-मुस्तफ़ा देखूं

क़दम बाहिर मदीना से, तसव्वुर में मदीना है
इलाही, या इलाही ! अज़मतों की इन्तिहा देखूं

तमन्ना मुद्दतों से है जमाले-मुस्तफ़ा देखूं

ये दुनिया बे-सबातो-बे-वफ़ाओ-ग़म का गहवारा
ये है मतलूब, दारे-बे-वफ़ाई में वफ़ा देखूं

तमन्ना मुद्दतों से है जमाले-मुस्तफ़ा देखूं

वो मब्दा ख़ल्क़े-आलम का, दुरूद उन पर, सलाम उन पर
मेरे मौला ! ये मौक़ा दे के ख़तमुल-अम्बिया देखूं

तमन्ना मुद्दतों से है जमाले-मुस्तफ़ा देखूं

कभी हो हुस्न की महफ़िल, कभी हो शौक़ का मन्ज़र
कभी आंसू की ज़ंजीरों में आशिक़ की सदा देखूं

तमन्ना मुद्दतों से है जमाले-मुस्तफ़ा देखूं

रसूलुन क़ासिमुल-ख़ैरात फिद्दुनिया व फिल-उ़क़्बा
शफ़ीक़ अज़ नफ़्से मादर मा, नबी-ए-मुज़्तबा देखूं

तमन्ना मुद्दतों से है जमाले-मुस्तफ़ा देखूं

दरे-जन्नत पे हाज़िर हों रसूले-पाक के हमराह
शफ़ाअत का ये मन्ज़र या ख़ुदा या मैं रज़ा देखूं

तमन्ना मुद्दतों से है जमाले-मुस्तफ़ा देखूं
इमामुल-अम्बिया देखूं, हबीबे-किब्रिया देखूं

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