Thursday, July 5, 2018

दिल को तोड़ के मेरे वो ऐसे अन्जान बैठा है
लगता है जैसे कोई मुर्दा बेजान बैठा है


गली मे आकर मेरी मुझको ही बदनाम किये बैठा है
लबों पर अब भी देखो मेरा ही नाम लिए बैठा है


मुझसे पहले कितनो को वो बर्बाद किये बैठा है
मुझे लगता है वो अपनी नियत ख़राब किये बैठा है


ए -आकिब कहीं चिराग़ है, कहीं वो किताब लिए बैठा है
मुझे लगता है वो कई आफ़ताब लिए बैठा है |


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