Wednesday, July 4, 2018

तारीफ क्या करूँ तेरी कि मेरा बस ये क़लाम है, तेरी खूबसूरती और तुझको मेरा सलाम है|

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ग़ज़ल-रहमान फ़ारिस, नज़र उठाएँ तो क्या क्या फ़साना बनता है

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